धनतेरस / Dhanteras in Hindi : धनतेरस के दिन भगवान विष्णु के अंश धन्वंतरी की उत्पति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी, जो देवतों के वैध थे। इन्होने चिकित्सा के प्रचार के लिए प्रथ्वी में जन्म लिया था और इसी कारण भारत सरकार ने भी धनतेरस को राष्ट्रिय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की।
प्रतिवर्ष हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार दीपावली से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन पर यह माना जाता है की यदि कोई व्यक्ति धन का उपयोग कर कुछ वस्तु जैसे सोना, चांदी, बर्तन खरीदता है तो इसे शुभ माना जाता है, और इससे सदैव घर में धन की कमी नहीं होती है और हमेशा ख़ुशी, और शांति बनी रहती है।
धनतेरस क्यों मनाते हैं
धनतेरस को मनाये जाने के बहुत सी पौराणिक कथा है, जिन्हें धनतेरस की शुरुआत माना जाता है। एक मिथ के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बिच समुद्र मंथन हुआ था तो, भगवान विष्णु के अंस भगवान धन्वंतरी अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरी देवतों के वैध थे, और जिस दिन उनका जन्म हुआ था उसे धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।
एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को 13 वर्षों तक एक किसान के घर में रहने का श्राप दिया, जब लक्ष्मी माँ उस किसान में घर में थी तो उस किसान का घर में कभी भी धन की कमी नहीं हुई, लेकिन जब 13 वर्ष का समय समाप्त हुआ तो भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को लेने किसान के घर में आये।
किसान ने माता लक्ष्मी से उसके घर में रुक जाने का आग्रह किया, तब लक्ष्मी माँ ने उस किसान से कहा कल त्रयोदशी है और इस दिन पूजा अर्चना कर उनका आह्वान करेगा तो धन की प्राप्ति होगी। माता के कहने के बाद किसान ने त्रयोदशी के दिन ऐंसा ही किया जैसे माता ने उसे करने को कहा था, जिससे उसे धन की प्रप्ति हुई, और तब से लेकर आज तक धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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2019 धनतेरस कब है
धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है साल 2019 में धनतेरस 25 अक्टूबर 2019 को शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा। धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और इस पूजा के लिए शुभ मुर्हत श्याम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर श्याम 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा, प्रदोष काल का मुर्हत श्याम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर श्याम 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
इस दिन को बाजार में रौनक देखने को मिलेगी, क्योंकि इस दिन पर खरीददारी करना शुभ माना जाता है, और ज्यादातर लोग बर्तन की दुकानों में दिखाई देंते है।
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धनतेरस कैसे मनाया जाता है
इस दिन सर्वप्रथम बाजार से पीतल या चांदी के बर्तन, सोना आदि की खरीददारी की जाती है, क्योंकि इस दिन पर खरीददारी करना शुभ माना जाता है, इसके बाद शुभ मुर्हत में लक्ष्मी माता की आरती के साथ पूजा अर्चना की जाती है, जिसमे माता के समुख दीप जलाया जाता है पूजा की थाल से लक्ष्मी माँ की आरती की जाती है, शंख बजाया जाता है।
माना जाता है की कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी जिस दिन धनतेरस होता है को घर के दरवाजे पर श्याम को यमदेव निमित्त दीपदान किया जाता है, इससे पुरे परिवार को यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है साथ ही पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।
धनतेरस के दिन लक्ष्मी माता की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए, क्योंकि प्रदोष काल में स्थिर लग्न प्रचलित होती है और इस दौरान यदि लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है तो लक्ष्मी जी घर में रुक जाती है।
धनतेरस पूजा मन्त्र
धनतेरस के दिन द्वीप जलाने के बाद इस मन्त्र का उचारण करना चाहिए –
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मन्त्र का अर्थ है – त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
प्रतिवर्ष प्रमुख त्यौहार दीपावली की शुरुआत धनतेरस के दिन के बाद ही शुरू होती है।
🙏 धनतेरस और दिवाली की शुभकामनाएं 🙏
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