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रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है जानिए रक्षा बंधन का इतिहास

रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है : भारत में रक्षा बंधन का त्यौहार बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का त्यौहार हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो हर साल अगस्त के महीने में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त को श्याम 9:03 से लेकर 31 अगस्त सुबह 07:05 को रहेगा।

रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है

इस दिन शुभ मुहर्त के अनुसार बहन अपने भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा करने का वचन लेती है और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है। इस पर्व पर बाजार में राखी से सजी दुकाने देखने को मिलती है जिनसे बहने अपने भाई के लिए राखी खरीदती है और इसके साथ साथ भाई भी अपनी बहन के लिए उपहार खरीदते है।

रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है

रक्षा बंधन का त्यौहार सतयुग से मनाया जाता आ रहा है और इसको मनाये जाने की पौराणिक कथाएं भी है जिसका उल्लेख आपको आगे पढने को मिल जायेगा

रक्षा बंधन का दिन हर एक भाई बहन के लिए महत्वपूर्ण होता है, इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है भाई की लम्बी के लिए भगवान् से मनोकामना करती है,  भाई अपनी बहन को जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है, साथ ही इस अपनी तरफ से बहन को गिफ्ट भी देता है

रक्षा बंधन का इतिहास ( History Of Raksha Bandhan In Hindi)

बचपन में हमने रक्षा बंधन को मनाये जाने की बहुत सी कहानियां सुनी होंगी क्योंकि रक्षा बंधन को मनाये जाने का कोई एक मिथ नहीं है बल्कि इसका उल्लेख बहुत सी जगह पर मिला है। रक्षा बंधन को मानाने के पीछे बहुत से ऐतिहासिक, पौराणिक और सामाजिक प्रसंग सुनने को मिलते है

1. इंद्रदेव और मंत्रित धागा

रक्षा बंधन के इस त्यौहार का वर्णन भविष्य पुराण में मिलता है जिसके अनुसार जब देव और दानवो का युद्ध हो रहा था तो देवो पर दानव भरी पड़ रहे थे तो इस स्थिति में इंद्र की पत्नी ने भगवान् विष्णु के द्वारा दिया गया एक रेशम का धागा, जिसे मत्रों की शक्ति से मंत्रित किया गया था को इंद्र की कलाई में बाँध दिया था।

इसके बाद इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए थे। जिस दिन धागा बंधा गया था उस दिन श्रावन पूर्णिमा भी थी और तब से श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बाँधने का यह त्यौहार चल रहा है।

2. माता लक्ष्मी और राजा बलि

स्कन्द पुराण और श्रीमद्भागवत में बामनावतार कथा में भी रक्षा बंधन का उलेख मिलता है इसमें जब राजा बलि के स्वर्ग पर राज करने के प्रण को पूरा करने के लिए किये जाने वाले 100 यज्ञ को रोकने के लिए इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए और उनसे मदद मागीं तो इस स्थिति को हल करने के लिए भगवान विष्णु ब्राह्मण अवतार लेकर राजा बलि के पास गए।

भगवान विष्णु के बामन अवतार ने राजा बलि से 3 पग जमीन देने के बात कही तो राजा बलि ने 3 पग दिए लेकिन जब भगवान विष्णु के बामन अवतार ने पहले पग में पूरी पृथ्वी, दुसरे पग में पाताल और आकाश को नाप लिया था तो तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची जिसे राजा बलि ने अपने सर में तीसरा पग रखने को कहा और इससे राजा बलि पाताल में चले गए।

राजा बलि के पाताल में जाने के बाद भगवान बिष्णु ने राजा बलि को पाताल का राजा बना दिया राजा बलि से प्रस्सन होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को कोई वरदान मांगने को कहा जिसमे राजा बलि ने भगवान विष्णु को पाताल में द्वारपाल बनकर अपने सामने रहने का वरदान माँगा।

इस घटना के बाद जब भगवान विष्णु घर नहीं आये तो माता लक्ष्मी को इस बात की चिंता हुई और वे नारद जी के पास गई नारद जी ने उन्हें इसका उपाय बताया और इस उपाय के अनुसार माता लक्ष्मी ने बलि के हाथ में धागा बंधकर अपना भाई बनाया था और भगवान विष्णु को अपने साथ ले आई।

इस दिन श्रावण पूर्णिमा होने के कारण देवी लक्ष्मी ने राखी को रक्षा बंधन का त्यौहार बना दिया जिसे तब से लेकर आज तक रक्षा बंधन के इस त्यौहार को प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

3. लव कुश और संतोषी माता

इस मिथ के अनुसार जब भगवन विष्णु के पुत्र शुभ और लाभ को बहन की कमी खल रही थी तो वे भगवान् गणेश के पास गए और उनसे बहन की मांग की। इस पर गणेश जी की पत्नियाँ रिधि और शिधि की दिव्य ज्योति से माता संतोषी का जन्म हुआ और शुभ लाभ को अपनी बहन के रूप में माता संतोषी मिली जिससे वह माता संतोषी के साथ रक्षा बंधन मना सके।

4. कृष्ण और द्रोपती

जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो सुदर्शन चक्र का उपयोग करते समय श्री कृष्ण के तर्जनी ऊँगली में चोट लगी जिससे द्रोपती ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा श्री कृष्ण के चोट पर बाँधा था और द्रोपती के चीरहरण के समय श्री कृष्ण ने द्रोपती की रक्षा की थी, द्रोपती के द्वारा अपनी साड़ी का टुकड़ा बाधना और श्री कृष्ण का द्रोपती के रक्षा करने से इसे रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाने लगा।

5. युधिष्ठिर और श्री कृष्ण

महाभारत के समय युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण को पूछा की कैसे सभी संकटों को दूर किया जा सकता है तो इस पर भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को उनकी और सेना की रक्षा के लिए रक्षा बंधन मानाने का सुझाव दिया क्योंकि उनका कहना था की रेशम की राखी के इस धागे में वह सकती है जिससे आप किसी भी सकंट से मुक्ति पा सकते है।

6. महारानी कर्मावती और हुमायूँ

गुजरात के राजा बहादुर शाह जफ़र के द्वारा मेवाड़ पर आक्रमण की सुचना, जब मेवाड़ की रानी कर्मावती को को लगी तो वह युद्ध लड़ने में असमर्थ थी इस स्थिति में रानी कर्मावती ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी और रक्षा करने के प्राथना की जिसे मुग़ल बादशाह हुमायूँ के द्वारा स्वीकार कर लिया गया और हुमायुँ ने मेवाड़ की ओर से लड़कर बहादुर शाह जफ़र को पराजित किया और मेवाड़ की रक्षा की और तब से रक्षा बंधन का यह त्यौहार प्रचलित है।

7. सिकंदर और पुरूवास

इस मिथक के अनुसार सिकंदर और पंजाब के राजा पुरूवास के शत्रुता के बिच सिकंदर की पत्नी रुख्साना ने पुरुवास से सिकंदर को ना मारने के लिए पुरुवाष को हाथ में धागा बांधकर इसका वचन लिया। युद्ध के समय पुरुवाष ने लिए गए वचन का मान रखते हुए सिकंदर के प्राण बक्श दिए और तब से यह प्रथा लागू है।

8. बंग भंग आन्दोलन और रविन्द्र नाथ टैगोर

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब बिट्रिश सरकार बंगाल विभाजन के लिए हिन्दू और मुसलमान के बिच फुट डाल रही थी। तब रविन्द्र नाथ टैगोर ने बंग भंग आदोलन के दौरान हिन्दू मुसलमान के बिच पड़ने वाली इस फूट को ख़त्म करने के लिए रक्षा बंधन के त्यौहार से एकता लाने का बिज बोया।

सभी आन्दोलनकरी नदी के तट पर गए और स्नान किया इसके बाद सभी ने एक दुसरे को पीले सूत का धागा बाँधा और इससे बंग भंग आन्दोलन को एक शक्ति मिली और आन्दोलन सफल रहा। (Raksha Bandhan In Hindi)

रक्षाबंधन श्लोक

रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन राखी बांधते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है –

येन बद्धो बलि राजा दान वेंद्रो महाबल: ।तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल।।

जिसका अर्थ है जिस प्रकार राजा बलि ने रक्षा सूत्र से बंधकर अपना सब कुछ दान कर दिया था उसी तरह से हे रक्षा मै आज तुझे बांधता हूँ तुम भी अपने उद्देश्य से विचिलित ना हो और दृढ बने रहना।

रक्षा बंधन कब मनाया जाता है 

रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2023 में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 30 अगस्त को सुबह 10:45 पर शुरू होगी लेकिन इसी के साथ भद्रा भी सुबह 11:00 शुरू होगी जो की श्याम 09:03 बजे तक रहेगी जिस कारण रक्षा बंधन का शुभ मुर्हत 30 अगस्त को श्याम 09:03 बजे से शुरू होगा जो की 31 अगस्त को सुबह 07:05 बजे रहेगा।

शास्त्रों के अनुसार शुभ कार्यों के लिए भद्राकाल का समय शुभ नहीं माना जाता है, और इस साल रक्षा बंधन के त्यौहार के दिन भद्रकाल का समय पड़ रहा है जिस कारण रक्षा बंधन को मनाये जाने के लिए दो तिथियों के बिच सभी इस दुविधा में है की आखिर कब रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जायेगा।

रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है ( How To Celebrate Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन की शुरुआत सुबह स्नान के साथ शुरू होती है इसके बाद विधि विधान के साथ पूजा की थाली में राखी को रखा जाता है इसके साथ साथ भगवान् को भोग भी लगाया जाता है और भगवान की पूजा की जाती है।

रक्षाबंधन के लिए सही मुर्ह्त पर बहन आरती की थाली में भोग जिसमे फल या मिठाई, तिलक, अक्षत रखकर अपने भाई को तिलक लगाती है और राखी बांधकर पूजा करती है। भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वचन देता है इसके साथ यदि उपहार भी दिया जा सकता है।

उम्मीद है की Raksha Bandhan In Hindi, रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन का महत्व की इस जानकारी से आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा, यदि यह जानकारी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

आप सभी को Knowledge Hindi Me की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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