रुडोल्फ वीग्ली – गूगल डूडल पर आज के दिन रुडोल्फ वीग्ली के 138वें जन्मदिन के अवसर पर गूगल डूडल लगाकर उन्हें सम्मनित किया गया है, रुडोल्फ वीग्ली जो की एक जीवविज्ञानी, चिकित्सक और एक अविष्कारक भी थे, इन्होने टाइफस महामारी जो की सबसे पुरानी और अधिक संक्रमक बीमारी थी का पहला प्रभावी टिका बनाया था।
रुडोल्फ वीग्ली (Rudolf Weigl’s) :
रुडोल्फ वीग्ली का जन्म ऑस्ट्रो-हंगेरियन शहर प्रेज़ेरो में 2 सितम्बर 1883 को हुआ था, इनका पूरा नाम रुडोल्फ स्टीफन जान वीगल था , छोटी उम्र में ही इनके पिता की साइकल दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी, इसके बाद इनकी माँ एलिजाबेथ क्रोसेल ने जोज़ेफ ट्रोजनार से शादी की जो की पोलिश माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक थे।
Rudolf Weigl की परवरिश पोलेंड के जसलो में हुई इसके बाद इनका परिवार लवाओ चला गया, सन 1907 में रुडोल्फ वीग्ली नेलवो लवाओ विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, यहाँ उन्होंने बेनिदाइक डाइबॉवस्की (1833-1930) और जे जुसबूम-हिलरोविज़ (1859-1917) के शिष्य के रूप में भी शिक्षा ग्रहण की, इसके बाद उन्होंने प्राणीशास्त्र, तुलनात्मक शरीर रचना विज्ञान और ऊतक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
1914 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद रुडोल्फ वीग्ली ने ऑस्ट्रो-हंगेरियन सेना में चिकित्सा सेवा के रूप में भी काम किया, उन्होंने टाइफस और इसके फैलने के कारणों पर शोध किया, प्रेज़मील के एक सेन्य अस्पताल में Rudolf Weigl ने शोध के लिए प्रयोगशाला का निरिक्षण किया।
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1939 में पोलैंड पर सोवियत संघ के आक्रमण के बाद रुडोल्फ वीग्ली ने लेम्बर्ग के एक संस्थान में शोध कार्य जरी रखा, 1936 -1943 के बिच उन्हें टिके का पहला प्रयोग चीन में बेल्जियम के मिशनरियों द्वारा किया गया इस वैक्सीन का उत्पादन खतरनाक और बड़े पैमाने पर कर पाना मुश्किल था।
इसके बाद अन्य टीकों की भी खोज हो गयी थी जिसमे अंडे की जर्दी पर बनाये जाने वाली कॉक्स वैक्सीन भी शामिल थी।
1945 के दौरान Rudolf Weigl क्राकोव पोलैंड चले गए, यहाँ वह Jagiellonian विश्वविद्यालय के जनरल, माइक्रोबायोलॉजी संस्थान का अध्यक्ष भी रहे, इसके बाद वह पॉज़्नो मेडिकल फैकल्टी के जीव विज्ञान के अध्यक्ष भी रहे, 73 वर्ष की आयु में 11 अगस्त 1957 ज़कोपेन, पोलैंड में रुडोल्फ वीग्ली ने अंतिम सांस ली।
पुरस्कार और सम्मान
रुडोल्फ वीग्ली को दो बार नोबल पुरुस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन दोनों बार ही उन्हें यह पुरुस्कार नहीं दिया गया क्यूंकि 1942 में टाइफस के टिके की खोज के लिए उन्हें नामांकित किया गया था लेकिन रैहलिस्ट पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण जर्मनों के द्वारा उनका नामांकन रद्द किया गया,
और दूसरी बार भी उनका नोबोल पुरुस्कार के लिए नामांकित किया गया था लेकिन दूसरी बार भी उनका नामांकन कम्युनिस्ट अधिकारियों के द्वारा रद्द किया गया, और इस कारण उन्हें अपनी वैक्सीन की खोज और सामाजिक कायों के लिए नोबेल नहीं मिल पाया, 2003 में, उन्हें विश्व के राष्ट्रों के बीच एक धर्मी के रूप में सम्मानित किया गया था, यह पुरस्कार इज़राइल द्वारा दिया गया था