मजदूर दिवस / Labour Day in Hindi – मजदूर, श्रमिक केवल वही व्यक्ति नहीं, जो किसान है और खेत में काम करता है, या एक मजदूर है, जो किसी ईमारत का निर्माण करता है बल्कि वह सभी लोग जो किसी कम्पनी, संस्था, व्यवसाय, उद्योग या किसी व्यक्ति के अंतर्गत काम करता हो वह भी एक मजदूर या श्रमिक ही है.
किसी भी समाज देश की प्रगति के लिए मजदूर, श्रमिक, किसान बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है लेकिन जो मजदूर, श्रमिक, किसान देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है उन्हें ही बहुत सी परेशानी का सामना करना पड़ता है, और यह परेशानी उन्हें मिलने वाली सुविधाओं से लेकर, वेतन, और काम करने का समय आदि तरह की हो सकती है. (Labour Day in Hindi)
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हमेशा से मजदूरों का शोषण ही होता रहा है, कभी काम को लेकर तो कभी पैसों को लेकर, और फिर चाहे मजदूरों, श्रमिकों, किसानों के लिए बहुत सी सुविधा या नियम बनाये गए हो जो उनके हित में हो लेकिन फिर भी बहुत सी जगह पर मजदूरों पर अत्याचार ही देखने को मिलता है.
Labour Day in Hindi – मजदूर दिवस हिंदी में
भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में 1 मई के दिन को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे मजदूर दिवस (Labour Day) के आलावा श्रमिक दिवस (Workers Day), मई दिवस (May Day) आदि नाम से भी जाना जाता है. मजदूर दिवस को 132 साल से लगातार अंतराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता रहा है.
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मजदूर दिवस का इतिहास / History of labor day
अंतराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस 1 मई 1886 को मनाया गया था. मजदूर संघो के द्वारा 8 घंटे से अधिक काम नहीं करने के निश्चय कर हड़ताल की गयी थी, जिसमे बहुत से देशों की 11000 से भी अधिक फेक्टरी के लगभग 380000 मजदूर शामिल थे, इस हड़ताल पर शिकागो में हेमाकेट में बम ब्लास्ट की घटना हुई जिससे भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस के द्वारा फायरिंग की गयी इसमें बहुत सी लोगों की मौत हुई और बहुत से लोग घायल भी हुए.
इसके बाद अंतराष्ट्रीय समाजवादी सम्मलेन में मारे गए निर्दोष मजदूरों के लिए जिनमे महिलाएं, बच्चे भी शामिल थे के लिए मजदूर दिवस को मनाये जाने का प्रस्ताव रखा गया. 1889 में पेरिस अंतराष्ट्रीय महासभा की दूसरी बैठक में मजदूर दिवस मनाये जाने के प्रस्ताव को पारित किया गया.
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को मद्रास में हुई थी, और इसको मनाये जाने का श्रेय भारती मजदूर किसान पार्टी के नेता सिंगरावेलू चटेयार को जाता है, जिन्होंने किसानों मजदूरों की मांगों के लिए मद्रास हाइकोर्ट के सामने हड़ताल कर सरकार को मजदूरों के प्रति सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. उस समय इस दिन को मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था.
डॉ भीम राव आंबेडकर जी ने कहा था की “किसी देश की तरक्की देश के श्रमिकों, किसानों पर निर्भर करती है”.
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मजदूर दिवस का उद्देश्य
बात यदि पहले की कि जाये तो मजदूरों की स्थिति बहुत खराब थी क्योंकि उन्हें काम करने का कोई समय नहीं था, कोई मौसम नहीं था, और ना ही उन्हें दिए जाने वाले वेतन पर उनका किसी भी प्रकार का कोई नियंत्रण था जिस कारण कभी अधिक काम होने पर कम वेतन मिलने जैसे बहुत सी घटनाये होती रहती थी. मजदूरों के हालत इतनी खराब थी की काम के दौरान ही बहुत सी मजदूर की मृत्यु भी हो जाती थी, मजदूरों के लिए कम वेतन में अपना ही गुजारा कर पाना बहुत मुश्किल था.
मजदूरों की इस तरह की स्थिति को देखकर कुछ मजदूरों संघों के द्वारा मजदूरों के हित की प्रति आवाज उठाई गयी और समय के साथ साथ मजदूरों के हक़ के तौर पर कई नियम बनाये गए, जिससे मजदूरों की स्थिति में सुधार आने लगा.
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मजदूर दिवस कैसे मनाया जाता है
प्रत्येक वर्ष 1 मई मजदूर दिवस का दिन मजदूरों, श्रमिकों के लिए अवकाश का दिन रहा है, क्योंकि दिन रात दोनों स्थितियों या किसी भी मौसम में काम करने वाले मजदूरों के द्वारा ही बड़ी से बड़ी इमारत का निर्माण, या इसी तरह के बहुत सी काम किये जाते है, और यह अवकाश का एक दिन उनमे एक नया जोश भर देता है.
इस दिन पर बहुत सी जगह पर कार्यक्रम किये जाते है, व बहुत सी कम्पनी या संस्था जो अपने कर्मचारीयों के बारे में सोचती है वह उन्हें गिफ्ट भी देती है.